रहमतें आलम का शानी, ढुढते रह जाओगे

उनके कदमों से लिपट, जाओ नही तो जानलो.

सुबहान अल्लाह मेरे नबी के, क्या ही है जौबार कदम.
बुल बुल शीदरा चुम रहे है, उनके पुर अनवार कदम.

दाईं हलिमा तेरा बच्चा, कितनी रहमत वाला है.
माशाअल्लाह धोकर उनका, पीते हैं बीमार कदम.

बाबे हरम से गाङ के परचम, कहते हैं जिबरील अमीँ.
रखने वाले हैं दुनिया मे, नबियों के सरदार कदम.

कब्र मे जब सरकार का जलवा, सामने होगा मेरे सफी.
देखुंगा इक बार उन्हें मैं, चुमुगाँ सौ बार कदम.

उनके कदमों से लिपट, जाओ नही तो जानलो. वर्ना नही तो जानलो.
हश्र के मैदां मे पानी, ढुढते रह जाओगे.
रहमतें आलम का शानी.......

शहरे तैबा है मेरे आका का, दारुस्सलतनत.
ऐसी आला राजधानी, ढुढते रह जाओगे.
रहमतें आलम का शानी.......

याद रखना दिल दुखा कर, आमिना के लाल का.
तूम खुदा की मेहरबानी, ढुढते रह जाओगे.
रहमतें आलम का शानी......

नेकियाँ करलो बूढापा, आने से पहले सफी.
खो गई तो फिर जवानी, ढुढते रह जाओगे.

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